उत्तराखंड में UCC (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लागू: शादी के नियमों में बड़ा बदलाव

 

उत्तराखंड में धामी सरकार ने लागू किया यूनिफॉर्म सिविल कोड: शादी के नियमों में बड़े बदलाव, जानिए पूरी जानकारी



उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता लागू कर दी है। यह कदम समाज में समानता लाने और सभी धर्मों के नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू करने की दिशा में उठाया गया है। इस फैसले के तहत शादी, तलाक और संपत्ति के बंटवारे से जुड़े नियमों में कई बड़े बदलाव किए गए हैं।

यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है

यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है कि देश के सभी नागरिक, चाहे उनका धर्म, जाति या पंथ कुछ भी हो, उन पर एक समान नागरिक कानून लागू होगा। इसमें शादी, तलाक, संपत्ति बंटवारा, गोद लेने और अन्य व्यक्तिगत मामलों में समान नियम होते हैं। इसका उद्देश्य सभी के लिए समान अधिकार और समान न्याय सुनिश्चित करना है।


यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत नए नियम

1. शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
अब उत्तराखंड में शादी करने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। किसी भी शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर जुर्माने का प्रावधान रखा गया है।

  • बिना रजिस्ट्रेशन शादी करने पर पच्चीस हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
  • शादी का रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रक्रिया उपलब्ध कराई है।

2. समान अधिकार
इस कानून के तहत सभी धर्मों के पुरुषों और महिलाओं को शादी, तलाक और संपत्ति के बंटवारे में समान अधिकार दिए गए हैं। यह कदम समाज में महिलाओं की स्थिति मजबूत करेगा और उनके अधिकारों की रक्षा करेगा।

3. संपत्ति के नियमों में बदलाव
यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत अब संपत्ति बंटवारा केवल धार्मिक परंपराओं के आधार पर नहीं, बल्कि समान नागरिक कानूनों के तहत होगा।

  • बेटे और बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।
  • तलाक के बाद भी महिलाओं को वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।

4. विवाह का प्रमाणपत्र जरूरी
शादी के बाद प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य होगा। यह प्रमाणपत्र सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज होगा और भविष्य में कानूनी विवादों से बचने में मदद करेगा।


मुस्लिम समुदाय का विरोध

उत्तराखंड में कुछ मुस्लिम संगठनों ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह उनके धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है।

  • मुस्लिम संगठनों ने इसे अपनी धार्मिक परंपराओं के खिलाफ बताते हुए इसका पालन नहीं करने की चेतावनी दी है।
  • हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह कानून सभी धर्मों के लिए समान है और संविधान की मूल भावना का हिस्सा है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड के फायदे

  1. समानता और न्याय:

    • यह कानून समाज में समानता लाने और सभी धर्मों के नागरिकों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
  2. महिला सशक्तिकरण:

    • महिलाओं को शादी, तलाक और संपत्ति के मामलों में समान अधिकार मिलने से उनका सशक्तिकरण होगा।
  3. विवादों में कमी:

    • अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग कानूनों के कारण जो विवाद होते हैं, वे अब समाप्त हो जाएंगे।
  4. आधुनिक और प्रगतिशील समाज:

    • यह कानून समाज को आधुनिक और प्रगतिशील बनाने में मदद करेगा।

चुनौतियां और आलोचना

हालांकि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करना एक साहसिक कदम है, लेकिन इसे लेकर कुछ चुनौतियां और आलोचनाएं भी सामने आ रही हैं।

  • धार्मिक परंपराओं से टकराव: कई समुदाय इसे अपनी परंपराओं और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन मान रहे हैं।
  • जागरूकता की कमी: ग्रामीण इलाकों में इस कानून को लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

निष्कर्ष

उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना एक ऐतिहासिक और साहसिक कदम है। यह समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित करेगा और महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने में मदद करेगा। हालांकि, इसे लागू करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा, लेकिन अगर इसे सही तरीके से लागू किया गया तो यह देश के लिए एक मिसाल बन सकता है।

Post a Comment

Are you a student?

Previous Post Next Post