Olaऔर Uber पर फोन मॉडल के आधार पर किराए में भेदभाव? जानें सच्चाई और सरकार की जांच |

 

ओला और उबर पर फोन मॉडल के आधार पर किराए में भेदभाव के आरोप, कंपनियों ने दी सफाई



नई दिल्ली, 24 जनवरी 2025:
राइड-हेलिंग सेवाएं देने वाली कंपनियां ओला और उबर ने फोन मॉडल के आधार पर किराए में भेदभाव करने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। यह सफाई तब आई है जब सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने इस मामले में नोटिस जारी किया था। दोनों कंपनियों ने यह दावा किया है कि वे एक समान मूल्य निर्धारण नीति अपनाती हैं और इस मामले में सरकार के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं।

मामला कैसे शुरू हुआ?

यह विवाद तब शुरू हुआ जब रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि एक ही यात्रा के लिए आईफोन और एंड्रॉयड फोन उपयोगकर्ताओं को अलग-अलग किराया देना पड़ रहा है। यह मामला तब ज्यादा गरमा गया जब दिल्ली के एक उद्यमी ने सोशल मीडिया पर अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि अलग-अलग फोन मॉडलों और बैटरी लेवल के आधार पर किराए में अंतर पाया गया।

ओला और उबर की सफाई

ओला के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया,
"हम अपने सभी ग्राहकों के लिए एक समान मूल्य निर्धारण संरचना का पालन करते हैं और फोन के ऑपरेटिंग सिस्टम के आधार पर किराए में कोई भेदभाव नहीं करते। हमने इस बात को CCPA के सामने स्पष्ट किया है और किसी भी गलतफहमी को दूर करने के लिए उनके साथ काम करेंगे।"

उबर ने भी इस मामले में यही रुख अपनाया। उनके प्रवक्ता ने रॉयटर्स को बताया,
"हम यात्रियों के फोन के निर्माता के आधार पर कीमत तय नहीं करते। इस मामले में CCPA के साथ काम करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।"

सरकार का रुख और उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा

उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस मुद्दे को उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए कहा,
"डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर भेदभावपूर्ण मूल्य निर्धारण एक अनुचित व्यापार व्यवहार है और उपभोक्ताओं के अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है। सरकार इस तरह की प्रथाओं को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है।"

उन्होंने यह भी घोषणा की कि CCPA इस तरह की मूल्य निर्धारण रणनीतियों की जांच को अन्य क्षेत्रों, जैसे फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन टिकटिंग पोर्टल्स तक भी बढ़ाएगा।

सोशल मीडिया पर बहस

हालांकि ओला और उबर ने आरोपों को खारिज कर दिया है, लेकिन सोशल मीडिया पर अभी भी कई उपयोगकर्ता संशय व्यक्त कर रहे हैं। कई लोगों ने अपने अनुभव साझा करते हुए किराए में असंगतियों के उदाहरण पेश किए हैं। दिसंबर में एक वायरल पोस्ट ने दिखाया कि एक ही यात्रा के लिए दो अलग-अलग फोन पर अलग-अलग किराया दिखाया गया। इस पर उबर ने सफाई दी थी कि कीमतों में अंतर फोन के प्रकार के बजाय पिकअप पॉइंट, यात्रा की अनुमानित समय अवधि और ड्रॉप-ऑफ स्थान जैसे कारकों पर निर्भर करता है।

भविष्य की योजना और जांच

सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएगी। इस मामले की गहराई से जांच की जाएगी ताकि उपभोक्ताओं के साथ किसी भी प्रकार की अनदेखी न हो।

निष्कर्ष

ओला और उबर ने जहां भेदभाव के आरोपों को खारिज कर दिया है, वहीं सरकार और उपभोक्ता अधिकार संगठन इस मुद्दे की जांच कर रहे हैं। यह मामला डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर मूल्य निर्धारण की पारदर्शिता और उपभोक्ता डेटा के संभावित दुरुपयोग पर व्यापक बहस छेड़ चुका है।

Post a Comment

Are you a student?

Previous Post Next Post