श्री सांवलिया सेठ मंदिर का भंडार खुला: 34 करोड़ से अधिक का चढ़ावा, चाँदी-सोना भी मिला
परिचय
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित श्री सांवलिया सेठ मंदिर भक्तों की आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप माने जाने वाले इस मंदिर में हर वर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन करने और अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए आते हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है बल्कि इसे व्यापारी वर्ग विशेष रूप से शुभ मानता है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ दान देने से व्यापार और व्यवसाय में उन्नति होती है।
हाल ही में जब मंदिर का भंडार खोला गया, तो इसमें ₹34.44 करोड़ की नकद राशि, 135 किलो चाँदी और अन्य बहुमूल्य धातुएँ प्राप्त हुईं। यह मंदिर के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा दान संग्रह बताया जा रहा है। इससे पहले, मार्च 2023 में खुलने वाले भंडार में ₹17.46 करोड़ की राशि प्राप्त हुई थी, लेकिन इस बार यह आंकड़ा लगभग दोगुना हो गया है।
मंदिर के भंडार में मिली नकदी और आभूषणों का विवरण
मंदिर के दान का विवरण
विवरण | राशि / मात्रा |
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कुल नकद दान (पाँच चरणों में गिना गया) | ₹29.9 करोड़ |
भीड़ कक्ष और ऑनलाइन दान से प्राप्त राशि | ₹4.54 करोड़ |
कुल नकद दान | ₹34.44 करोड़ |
चाँदी की कुल मात्रा | 135 किलो |
सोने की अनुमानित मात्रा | कुछ किलो (सटीक आँकड़े उपलब्ध नहीं) |
चाँदी के सिक्के और अन्य मूल्यवान धातुएँ | उल्लेखनीय मात्रा में |
दान की कुल राशि और मूल्यवान धातुएँ
यह स्पष्ट है कि मंदिर में चढ़ावे की मात्रा में तेजी से वृद्धि हो रही है। भक्तों की आस्था और धार्मिक विश्वास इसे लगातार एक विशाल तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित कर रहे हैं।
दान की गणना: पाँच चरणों में गिनी गई राशि
मंदिर प्रशासन द्वारा नकदी की गणना पाँच चरणों में की गई। प्रत्येक चरण में निकली राशि निम्नलिखित है:
गणना चरण और राशि का विवरण
गणना चरण | राशि (₹ करोड़ में) |
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पहला चरण | 7.55 करोड़ |
दूसरा चरण | 4.97 करोड़ |
तीसरा चरण | 4.72 करोड़ |
चौथा चरण | 5.75 करोड़ |
पाँचवाँ चरण | 2.44 करोड़ |
कुल नकद राशि | 24.44 करोड़ |
इसके अलावा, भीड़ कक्ष और ऑनलाइन दान से ₹4.54 करोड़ प्राप्त हुए, जिससे कुल नकद राशि ₹29.9 करोड़ हो गई। अन्य बहुमूल्य धातुओं को मिलाकर यह आँकड़ा ₹34.44 करोड़ तक पहुँच गया।
पिछले वर्षों की तुलना में दान की वृद्धि
श्री सांवलिया सेठ मंदिर में दान की राशि हर साल बढ़ती जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में भंडार से प्राप्त दान की तुलना नीचे दी गई है:
दान विवरण (वर्षवार)
वर्ष | राशि (₹ करोड़ में) |
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2020 | 8.92 |
2021 | 10.65 |
2022 | 12.75 |
2023 (मार्च) | 17.46 |
2024 (वर्तमान) | 34.44 |
यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि इस बार का चढ़ावा पिछले सभी वर्षों के रिकॉर्ड को तोड़ चुका है।
भक्तों की आस्था और मंदिर की मान्यता
व्यापारियों के लिए "सफलता का प्रतीक"
श्री सांवलिया सेठ मंदिर को खासतौर पर व्यापारी वर्ग के लोग अपना व्यवसायिक भागीदार (Business Partner) मानते हैं। यह मान्यता है कि यहाँ चढ़ावा चढ़ाने से व्यापार में तरक्की होती है। कई व्यवसायी अपनी कमाई का एक निश्चित प्रतिशत इस मंदिर में दान करते हैं।
श्रीकृष्ण का स्वरूप
ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने नानी बाई का मायरा भरने के लिए "सांवलिया सेठ" के रूप में अवतार लिया था। इस मंदिर में भगवान को "कृष्ण स्वयं सेठ" के रूप में पूजा जाता है।
मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
- स्थान: चित्तौड़गढ़, राजस्थान
- प्रसिद्ध नाम: सांवलिया सेठ
- मंदिर की मान्यता: भगवान श्रीकृष्ण का रूप
- विशेष पर्व: जन्माष्टमी, कृष्ण अष्टमी, विशेष भंडार
- आस्था: व्यापारियों और श्रद्धालुओं के लिए सफलता एवं समृद्धि का केंद्र